लाल बहादुर शास्त्री जी कितने महान थे।




भारत के द्वितीय प्रधानमंत्री लालबहादुर शास्त्री सादगी व महानता की प्रतिमूर्ति थे। उनके जीवन के अनेक प्रसंग हम सबके लिए प्रेरणादायक हैं। बात तब की है, जब शास्त्री जी इस देश के प्रधानमंत्री के पद को सुशोभित कर रहे थे। एक दिन वे एक कपड़े की मिल देखने के लिए गए। उनके साथ मिल का मालिक, उच्च अधिकारी व अन्य विशिष्ट लोग भी थे। मिल देखने के बाद शास्त्री जी मिल के गोदाम में पहुंचे तो उन्होंने साड़ियां दिखलाने को कहा। मिल मालिक व अधिकारियों ने एक से एक खूबसूरत साडिय़ां उनके सामने फैला दीं। शास्त्री जी ने साडिय़ां देखकर कहा, ‘‘साड़ियां तो बहुत अच्छी हैं, क्या मूल्य है इनका?’’ 



‘‘जी, यह साड़ी 800 रुपए की है और यह वाली 1 हजार रुपए की है।’’ मिल मालिक ने बताया।
‘‘ये बहुत अधिक दाम की हैं। मुझे कम मूल्य की साड़ियां दिखलाइए।’’ शास्त्री जी ने कहा। 
यहां स्मरणीय है कि यह घटना 1965 की है, तब 1 हजार रुपए की कीमत बहुत अधिक थी।
‘‘जी, यह देखिए। यह साड़ी 500 रुपए की है और यह 400 रुपए की।’’ मिल मालिक ने दूसरी साडिय़ां दिखलाते हुए कहा। 



‘‘अरे भाई, यह भी बहुत कीमती हैं। मुझ जैसे गरीब के लिए कम मूल्य की साड़ियां दिखलाइए जिन्हें मैं खरीद सकूं।’’ शास्त्री जी बोले।
‘‘वाह सरकार, आप तो हमारे प्रधानमंत्री हैं, गरीब कैसे? हम तो आपको ये साड़ियां भेंट कर रहे हैं।’’ मिल मालिक कहने लगा।
‘‘नहीं भाई, मैं भेंट में नहीं लूंगा।’’ शास्त्री जी स्पष्ट बोले। 



‘‘क्यों साहब? हमें यह अधिकार है कि हम अपने प्रधानमंत्री को भेंट दें।’’ मिल मालिक अधिकार जताता हुआ कहने लगा। ‘‘हां, मैं प्रधानमंत्री हूं।’’ शास्त्री जी ने बड़ी शांति से जवाब दिया, ‘‘पर इसका अर्थ यह तो नहीं कि जो चीजें मैं खरीद नहीं सकता, वह भेंट में लेकर अपनी पत्नी को पहनाऊं। भाई, मैं प्रधानमंत्री हूं पर हूं तो गरीब ही। आप मुझे सस्ते दाम की साड़ियां ही दिखलाएं। मैं तो अपनी हैसियत की साडिय़ां ही खरीदना चाहता हूं।’’ मिल मालिक की सारी अनुनय-विनय बेकार गई। देश के प्रधानमंत्री ने कम मूल्य की साड़ियां ही दाम देकर अपने परिवार के लिए खरीदीं। ऐसे महान थे शास्त्री जी, लालच जिन्हें छू तक नहीं सका था।

Comments

Popular posts from this blog

Viral Video of Boy and Girl.

People's Liberation Army overtakes China , Chinese Premier Xi jingping under house arrest.